अम्ल, क्षारक एवं लवण सम्पूर्ण नोट्स | कक्षा 10 विज्ञान (ch-02) |

अम्ल, क्षारक एवं लवण 

संसूचक :- 

                    वे पदार्थ जो अपने रंग में परिवर्तन कर दुसरे पदार्थों के साथ अम्लीय या क्षारकीय व्यवहार करते हैं उन्हें संसूचक कहा जाता है

संसूचक के प्रकार :-

                    वैसे तो संसूचक बहुत प्रकार के होते है परन्तु इनके समान्य प्रकार इस प्रकार है -

  • प्राकृतिक संसूचक :- वे सूचक जो प्राकृतिक स्रोतों के प्राप्त होते है प्राकृतिक संसूचक कहलाते है | जैसे -लिटमस, हल्दी, चाइना रोज, लाल गोभी आदि

    1. लिटमस :- लिटमस विलयन बैंगनी रंग का रंजक होता है जो थैलाफाइटा समूह के लाईकेन के पौधे से निकला जाता है। लिटमस विलयन जब न तो अम्लीय होता है न ही क्षारकीय, तब इसका रंग बैगनी होता है लिटमस पत्र दो रंगों का होता है नीला एवं लाल अम्ल नीले लिटमस पत्र को लाल कर देता है जबकि क्षार लाल लिटमस पत्र को नीला कर देता है |
    2. हल्दी :- हल्दी भी एक अन्य प्रकार का प्राकृतिक सूचक है। यह पीला रंग का होता है, कई बार आपने देखा होगा जब किसी सफ़ेद कपड़ों पर सब्जी का दाग लग जाता है और जब इसे साबुन (क्षारीय प्रकृति) से धोते है तो यह उस दाग के धब्बे को भूरा - लाल कर देता है।
      • अम्ल के साथ हल्दी के रंग में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
      • क्षारक के साथ इसका रंग भूरा - लाल हो जाता है।

  • संश्लेषित संसूचक :- ये वे सूचक है जो प्राकृतिक नहीं होते अपितु ये रसायनिक पदार्थों द्वारा बनाए गए होते है। जैसे - मेथिल ऑरेंज एवं फिनोल्फ्थेलीन आदि इनका उपयोग अम्ल एवं क्षारक की जाँच के लिए होता है।

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